Tuesday, November 20, 2007

उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं की इज्जत खतरे में है

दलित स्वाभिमान, दलित चेतना, बहुजन हित, जिसकी जितनी भागीदारी, उसके उतनी हिस्सेदारी—ये सारे नारे उत्तर प्रदेश में बेइज्जत हो रहे हैं। बहनजी की सरकार है। वही बहनजी कांशीराम के कंधे पर सवार होकर कर्कश आवाज में तिलक, तराजू और तलवार उनको मारो जूते चार जैसे नारे लगाकर और फिर ऊंची जातियों को सर-आंखों पर बिठाकर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने वाली। देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती के राज में कितनी दलित महिलाओं की इज्जत लूटी जा रही है इसकी संख्या तो बताना संभव नहीं है लेकिन, कुछ घटनाएं साफ कर देती हैं कि इस राज्य में महिलाओं, खासकर दलित महिलाओं की इज्जत बचनी मुश्किल हो रही है।

आनंदसेन यादव- फैजाबाद से विधायक (पूर्व मंत्री), लोकेंद्र शर्मा- बदायूं से विधायक, सुनील बाबू- कानपुर के बसपा नेता। इन तीनों में कई समानताएं हैं। इन तीनों पर बहनजी का वरदहस्त है। ये तीनों दबंग हैं। ये तीनों दलित महिलाओं से बलात्कार के मामले में आरोपी हैं। और, ये तीनों खुलेआम सीना तानकर घूम रहे हैं लेकिन, इनका कोई कुछ बिगाड़ने की हैसियत में नहीं है, कम से कम उत्तर प्रदेश में तो बिल्कुल ही नहीं।

मायावती सरकार में मंत्री आनंदसेन यादव को एक बसपा कार्यकर्ता की बेटी के अपहरण और उसकी हत्या के आरोप लगने के बाद इस्तीफा देना पड़ा। आनंदसेन यादव से मंत्री पद तो चला गया लेकिन, अब तक उनके खिलाफ कोई मामला नहीं दर्ज हो सका है। जबकि, इस बात के पक्के सुबूत हैं कि आनंदसेन और बसपा कार्यकर्ता की बेटी के बीच कैसे संबंध थे।

अभी शशि के घरवाले शशि का पता तक नहीं लगा पाए थे कि एक और दलित महिला की इज्जत खुलेआम लूटे जाने की खबर आ गई। बदायूं के बसपा विधायक लोकेंद्र शर्मा ने एक दलित महिला की इज्जत लूटी। करीब महीने भर तक उसे अपने साथ रखा। और, जब मन भर गया तो, उसकी शादी सक दोगुनी उम्र के आदमी से करा दी। वो किसी तरह बचकर भागी गुहार लगाई लेकिन, दलितों की गुहार सत्ता के ऊंचे सिंहासन पर बैठी बहनजी के कानों तक पहुंच ही नहीं पा रही है।

और, आज तो हद हो गई। कानपुर में उत्तर प्रदेश की पुलिस समीक्षा बैठक में एक ऐसा अपराधी सीना ताने प्रदेश के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक के सामने घूम रहा था जिसके ऊपर एक दर्जन से ज्यादा अपराधिक मामले हैं। उसमें भी एक ताजा मामला एक दलित महिला से बलात्कार का है। सुनील बाबू नाम के इस बसपा नेता की दबंगई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो पुलिस समीक्षा बैठक में प्रदेश के आला पुलिस अफसरों के साथ था। सुनील बाबू इतने से ही नहीं माना। बलात्कार के मामले में उसके खिलाफ गवाही देने वाली महिला के पति को दिन दहाड़े घर से सुनील बाबू और उसके गंडों ने उठा लिया। अब तक उसका कोई पता नहीं।

ये कुछ घटनाएं हैं जो, मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज की जल्दबाजी की वजह से सामने आ गई। ऐसे जाने कितने मामले होंगे जो, सामने आ ही नहीं पा रहे हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को तो प्रदेश में अपराध, भ्रष्टाचार, जंगलराज समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के साथ ही खत्म हो गया दिखता है।

1 comment:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

अव्वल तो बात यह है मित्र की पूरे देश में हर इज्जतदार शख्स की इज्जत खतरे में है.