राहुल गांधी के आगे भले ही देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री सिर नवाए खड़े रहते हों लेकिन, राहुल अपने संसदीय क्षेत्र एक सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। वो, भी एक ऐसा इंजीनियर जिसके खिलाफ खराब तरीके से काम करने के ढेर सारे आरोप हैं। लेकिन, इस सबके बावजूद राहुल गांधी की सिफारिश कूड़े में पड़ी है। और, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर बाबूराम राहुल के चुनाव क्षेत्र में मूंछे ऐंठकर मजे से काम कर रहा है।
दरअसल राहुल गांधी अमेठी से सांसद तो हैं ही। सुल्तानपुर की डिस्ट्रिक्ट विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन भी हैं। जल निगम के सुपिरंटेंडिंग इंजीनियर (अधीक्षण अभियंता) के खिलाफ गलत तरीके से काम कराने की शिकायत के बाद राहुल गांधी ने बाबूराम को सस्पेंड करने की सिफारिश कर दी। सुल्तानपुर के जिलाधिकारी ने राहुल की सिफारिश को आगे बढ़ाते हुए बाबूराम के सस्पेंशन की फाइल उत्तर प्रदेश शहरी विकास विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पास भेजी। लेकिन, 27 जुलाई को भेजी गई इस सिफारिश पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
आमतौर पर ये कम ही होता है कि डिस्ट्रिक्ट विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिशें न मानी जाएं। इसमें सभी पार्टियों के सांसद-विधायक शामिल होते हैं। लेकिन, इस मामले में शायद मायाराज के अधिकारियों को ये लगता है कि राज्य के किसी अधिकारी को कांग्रेस के किसी सांसद की सिफारिश पर हटाना राजनीतिक तौर पर नुकसान का फैसला हो सकता है। वो, भी जब राहुल गांधी जैसा सांसद हो तो, स्वाभाविक है, इसका राजनीतिक फायदा-नुकसान तो होगा ही।
ये बहुत छोटा सा मामला है। लेकिन, इस एक मामले से समझा जा सकता है कि दिल्ली में मायावती भले ही सोनिया से मुस्कुराते हुए मिलें। और, अपनी जरूरतों के लिहाज से समझौते करें। लेकिन, उत्तर प्रदेश की सत्ता की एक छटांक भी किसी कांग्रेसी के हिस्से वो नहीं जाने देंगी। साथ ही इससे एक बात और साफ है कि मायाराज का भ्रष्टाचार दूसरे तरीके से चालू आहे। बाबूराम के खिलाफ शिकायत है कि उन्होंने कई हैंडपंप की बोरिंग के बाद बिना हैंडपंप लगे ही पूरा पैसा रिलीज कर दिया। और, बिना पंप के 6 महीने से बोरिंग हुई पड़ी है।
ऐसे सरकारी हैंडपंप ज्यादातर उन्ही जगहों पर लगते हैं जहां, आर्थिक तौर पर कमजोर लोग रहते हैं। यानी जिनके पास अपना हैंडपंप लगवाने के पैसे नहीं हैं। इसमें से ज्यादातर लोग वो, हैं जो, मायावती का नीला झंडा उठाए लखनऊ में सरकारी पैसे से हुई रैली में मायावती को सुनने भी गए होंगे। अब जब मायावती अपने वोटबैंक की भी सुध नहीं ले रही हैं तो, फिर औरों की क्या बिसात है। और, राहुल के कद के आदमी की जब एक साधारण से भ्रष्ट अधीक्षण अभियंता पर नहीं चल रही है तो, आम आदमी के लिए तो, फरियाद के रास्ते भी बंद हो जाते हैं।
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