मायावती सरकार के पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव के खिलाफ आखिरकार गैरजमानती वारंट जारी हो गया। इसी हफ्ते में मायावती ने अपनी सरकार के एक और मंत्री जमुना प्रसाद निषाद को भी दबंगई-गुंडई के बाद पहले मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया। उसके बाद जमुना निषाद को जेल भी जाना पड़ा। इससे पहले भी मायावती की पार्टी के सांसद उमाकांत यादव को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था और उन्हें भी जेल जाना पड़ा था।
अब अगरउत्तर प्रदेश में कोई रामराज्य की उम्मीद लगाए बैठा है तो, इस दिन में सपने देखना ही कहेंगे। लेकिन, सारी बददिमागी और अख्कड़पन के बावजूद मुझे लगता है कि बरबादी के आलम में पहुंच गई उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था मायाराज में ही सुधर सकती है। ऐसा नहीं है कि मायाराज में सबकुछ अच्छा ही हो रहा है। लेकिन, इतना तो है ही कि मीडिया में सामने आने के बाद, आम जनता की चीख-पुकार, कम से कम मायावती सुन तो रही ही हैं।
मुझे नहीं पता कि मायावती के आसपास के लोग सत्ता के मद में कितनी तानाशाही कर रहे हैं। लेकिन, मायावती ने जिस तरह से कल राज्य के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को जिस तरह से लताड़ा है वो, इतना तो संकेत दे ही रहा है कि मायावती को ये पता है कि अगर इस बार मिला स्वर्णिम मौका उन्होंने गंवा दिया तो, उत्तर प्रदेश के विकट राजनीतिक, सामाजिक समीकरण में दुबारा शायद ही उन्हें अपने बूते सत्ता में आने का मौका मिले।
उन्होंने भरी बैठक में कहाकि
जब थाने बिकेंगे तो, जनता कानून हाथ में लेगी ही।
और, जनता कानून हाथ में तभी लेती है जब जनप्रतिनिधियों और कानून के रखवालों से उसे सही बर्ताव नहीं मिलता।
और, मायावती के इस कहे पर यकीन इसलिए भी करना होगा कि इसके दो दिन पहले ही मायावती की सरकार के एक मंत्री जमुना प्रसाद निषाद जेल जा चुके थे। उन पर थाने में घुसकर गंडागर्दी करने, गोलियां चलाने का आरोप है। इसी में थाने में ही एक सिपाही की मौत हो गई थी। इससे पहले बसपा सरकार के मंत्री आनंदसेन यादव को बसपा के एक कार्यकर्ता की बेटी के साथ संबंध बनाने के बाद उसकी हत्या का आरोप लगने के बाद पहले मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। और, अब गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है।
आनंदसेन के खिलाफ गैरजमानती वारंट और मंत्री पद से हटाया जाना ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि इसी घटना के आसपास यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार में एक बाहुबली विधायक अनंत सिंह ने पत्रकारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। लेकिन, देश भर से प्रतिक्रिया होने के बाद भी अनंत सिंह का कुछ नहीं बिगड़ा। सिर्फ पत्रकारों की पीटने के लिए अनंत सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात मैं नहीं कर रहा हूं। दरअसल वो पत्रकार अनंत सिंह से सिर्फ इतना पूछने गए थे कि एक लड़की ने मुख्यमंत्री को खत भेजकर अपनी जान का खतरा आपसे बताया है। साथ ही आप पर आरोप है कि आपने उस लड़की के साथ बलात्कार किया था। बस क्या था बिहार के छोटे सरकार गुस्से आ गए और पत्रकारों को दे दनादन शुरू हो गए। ये बता दें कि लालू के गुड़ों के मुकाबले नितीश के पास अनंत सिंह जैसे कुछ गिने-चुने ही गुंडे थे।
बस इतनी ही उम्मीद है कि मायावती ने राज्य के अधिकारियों को जो भाषण दिया है। वो खुद उस पर अमल करती रहेंगी।
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8 comments:
समर्थन.
मायाराज पहले से वाकई बेहतर है.
You guys are based in UP, that's why you are definetely having ground knowledge of condition.
Meanwhile, i think, the corrupt Mulayam is better than dictator Maya.
माया ki माया
Very good......
मायाराज इस बार भी वैसा ही है। सिर्फ नई बोतल पर नया नाम लिखबाकर वह भ्रमित कर रहीं हैं। जून के बाद तो अब अगस्त है। आपकी नई पोस्ट का इंतजार है।
kuch kuch...
next post ke intjar men
उत्तर प्रदेश के बारे में आपके पोस्ट के दौरान अच्छी जानकारी मिली! माया पलट रही है काया!
thanks for sharing valuable post....nice
wb govt job
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