Sunday, June 8, 2008

इलाहाबाद से बसपा एक और इतिहास बनाने की तैयारी में

उत्तर प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों के बाद मैंने लिखा था कि आखिर लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश से क्या संकेत मिल रहे हैं। उन संकेतों की पुष्टि लोकसभा चुनाव 2009 की पार्टियों की तैयारियों से और स्पष्ट हो रहा है। बीजेपी ने पहली 250 लोकसभा उम्मीदवारों की सूची जुलाई में जारी करने का ऐलान किया है। लेकिन, बसपा ने तो, उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना भी शुरू कर दिया।

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद की लोकसभा सीट हमेशा से बड़ी महत्व की मानी जाती रही है। ये सीट ज्यादातर देश और प्रदेश में किसी पार्टी की सत्ता का संकेत भी देती है। पिछले चुनाव में इलाहाबाद की दो महत्वपूर्ण सीटें इलाहाबाद और फूलपुर दोनों सपा के खाते में चली गई थी। इलाहाबाद से भाजपा के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी को हराकर सपा के रेवती रमण सिंह सांसद हो गए। ये इलाहाबाद की बदकिस्मती इस मायने में थी कि इलाहाबाद लोकसभा की एक विधानसभा (करछना) के विधायक को जनता ने संसद तो पहुंचा दिया। लेकिन, संसद में पहुंचने के बाद रेवती रमण का कोई भी एक ऐसा काम नहीं दिखाई दिया जो, इलाहाबाद के विकास को आगे बढ़ाता। डॉक्टर जोशी के समय की कई बड़ी योजनाएं वापस चली गईं।

और, अब इस पर और दुखद खबर ये है कि तीन बार इलाहाबाद की सीट जीतकर रिकॉर्ड बनाने वाले डॉक्टर जोशी सिर्फ एक बार की हार के बाद सीट छोड़ रहे हैं। ये अब लगभग तय हो गया है कि डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। अब चर्चा है कि केशरी नाथ त्रिपाठी इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इसी लोकसभा की शहर दक्षिणी सीट से छे बार जीतने वाले केशरी नाथ प्रदेश अध्यक्ष रहते बसपा के नंद गोपाल नंदी से हार चुके हैं। और, इलाहाबाद लोकसभा की बीजेपी के सबसे ज्यादा वोटबैंक मानी जाने वाली सीट इलाहाबाद से कटकर फूलपुर सीट में जुड़ रही है।

इलाहाबाद की दूसरी सीट फूलपुर से सपा से अतीक अहमद सांसद चुने गए थे। अब तो, जेल में हैं और सपा से निकाल दिए गए हैं। इस बार पता नहीं कैसे चुनाव लड़ेंगे। खैर, असली समीकरण अब बना है- हाल में ही भाजपा छोड़कर बसपा में जाने वाले कपिल मुनि करवरिया की वजह से। कपिलमुनि करवरिया, भाजपा विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक उदयभान करवरिया के बड़े भाई हैं। इलाहाबाद से उदयभान करवरिया ही भाजपा के अकेले विधायक (बारा विधानसभा) हैं। सच्चाई ये है है कि डॉक्टर जोशी के साथ संबंध कुछ कम अच्छे होने की वजह से (टिकट न मिलने से ) कपिलमुनि करवरिया ने बसपा ज्वाइन कर लिया। ज्वाइनिंग के दिन ही बसपा ने कपिलमुनि करवरिया को फूलपुर लोकसभा सीट से बसपा प्रत्याशी घोषित कर दिया। शहर उत्तरी और नवाबगंज में ब्राह्मण वोटबैंक और कपिलमुनि के साथ भाजपा का एक बड़ा वोटबैंक शिफ्ट होने से ये सीट बसपा के लिए काफी आसान दिख रही है। अतीक के जेल में होने और बसपा की सरकार होने से तो मदद मिलेगी ही। और, बाहुबल में कपिलमुनि करवरिया भी कुछ कम तो हैं नहीं।

कपलिमुनि करवरिया के बसपा ज्वाइन कराने में अहम रोल अदा करने वाले पुराने कांग्रेसी नेता और अब बसपा की सरकार में लाल बत्ती पाने वाले अशोक बाजपेयी को उसी दिन इलाहाबाद लोकसभा सीट से बसपा ने प्रत्याशी बना दिया है। अशोक बाजपेयी के बेटे हर्षवर्धन बाजपेयी को बसपा ने शहर उत्तरी से टिकट दिया था और हर्षवर्धन हजार से भी कम वोटों से विधानसभा हार गए थे। वोटबैंक और इलाहाबाद और फूलपुर लोकसभा का परसीमन फिर से होने से बदले समीकरण से बसपा दोनों लोकसभा सीटों पर सबसे बेहतर प्रत्याशी खड़ा करने में कामयाब हो चुकी है। और, ये संकेत सफल हुए तो, इलाहाबाद की दोनों सीट जातकर बसपा नया इतिहास बनाएगी। साथ ही मेरा ये अनुमान और पक्का हो रहा है कि बसपा को इस बार 35-45 सीटें तो मिलेंगी ही।

4 comments:

Udan Tashtari said...

मेयर के लिए बसपा के प्रत्याशी कुमार नारायण, जो कि हार गये थे, उनका नाम भी सुनाई दे रहा है क्या विधान सभा के लिए कि बाहर ही हो गये.

डॉ .अनुराग said...

वैसे भी अभी उप मे कल एक ओर हंगामा हुआ है ...प्रसाद जी वाला....देखे ऊंट किस करवट बैठता है...

Pramendra Pratap Singh said...

आपका विश्लेषण कुछ कम ठीक है :)

विवेक राय said...

aapka anuman jyada satik nahi hai .. bsp 10 se 12 seat hi payegi