Thursday, April 17, 2008

2009 के लोकसभा चुनाव में मायावती को 35-45 सीट मिलेगी

मायावती के मस्त हाथी की चाल के आगे सबको रास्ता छोड़ना पड़ा। उत्तर प्रदेश के आधार के भरोसे दिल्ली फतह करने का इरादा रखने वाली मायावती को राज्य के उपचुनावों ने और बल दिया होगा। आजमगढ़ लोकसभा सीट से बसपा के अकबर अहमद डंपी ने भाजपा के टिकट पर लड़े दागी रमाकांत यादव को 54 हजार से ज्यादा मतो से हरा दिया। डंपी ने इससे पहले भी बसपा के ही टिकट पर रमाकांत यादव को हराया था। ये अलग बात है कि 1998 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उत्तर प्रदेश में भाजपा की हालत किसी गंभीर रोग से ग्रसित मरीज के लिए दी जाने वाली आखिरी दवा के रिएक्शन (उल्टा असर) कर जाने जैसी हो गई है। राजनाथ सिंह ने कैडर, कार्यकर्ताओं को दरकिनारकर चुनाव एक लोकसभा सीट जीतने के लिए रमाकांत जैसे दागी को टिकट दिया लेकिन, फॉर्मूला फ्लॉप हो गया।

दूसरी लोकसभा सीट भी बसपा की ही झोली में गई है। खलीलाबाद लोकसभा सीट से भीष्मशंकर तिवारी ने 64,344 मतों से सपा के भालचंद्र यादव को हरा दिया है। भीष्मशंकर (कुशल तिवारी) लोकसभा तक पहुंचने में कामयाब हो गए। खलीलाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा चौथे नंबर पर चली गई है। भीष्मशंकर, चतुर राजनीतिज्ञ हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे हैं। और, इससे पहले 1998 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। हरिशंकर के छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी इससे पहले बसपा के ही टिकट पर बलिया लोकसभा उपचुनाव हार चुके हैं। ये अलग बात है कि बलिया में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर की जीत पूरी तरह से भावनात्मक जीत थी। सबसे दिलचस्प बात ये है कि विधानसभा चुनाव में खुद हरिशंकर तिवारी अपनी परंपरागत चिल्लूपार विधानसभा सीट बसपा के ही राजेश तिवारी के हाथों गंवाकर दशकों बाद पहली बार विधानसभा में जाने से रोक दिए गए।

विधानसभा सीटों में भी हाथी ने सबको रौंद दिया है। तीनो उपचुनाव के संकेत दिखा रहे हैं कि बसपा के बाद चल रही सपा से भी फासला बढ़ा है। भाजपा तो, तीसरे-चौथे नंबर पर पहुंच गई है। भाजपा बिलग्राम में तीसरे और कर्नलगंज में चौथे नंबर पर रही है। जबकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद की मुरादनगर सीट पर तो, चौथे नंबर पर भी उसे जगह नहीं मिल सकी हैं। इस सीट पर लोकदल के अयूब खां दूसरे नंबर पर हैं।

मैंने अभी कुछ दिन पहले भी लिखा था कि उत्तर प्रदेश में अब तक विधानसभा चुनाव के समय के समीकरण बदले नहीं हैं। और, उत्तर प्रदेश की तीन विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर बसपा के जोरदार कब्जे से ये साफ भी हो गया है। भाजपा आजमगढ़ को छोड़कर सभी जगह तीसरे नंबर पर रही है। मायावती के तानाशाही रवैये का हवाला देकर प्रदेश में मायावती के विरोधी ये कहने लगे थे कि अब जनता मायाराज के खिलाफ हो रहा है लेकिन, सच्चाई यही है कि मायाजाल बढ़ता ही जा रही है। और, अब तो इस बात की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की चाभी उसी को मिलेगी जिसको मायावती का साथ मिले।
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव
अकबर अहमद डंपी (बसपा)- 2,27,340 मत
रमाकांत यादव (भाजपा)- 1,73,089 मत
बलराम यादव (सपा)- 1,56,621 मत
एहसान खां (कांग्रेस)- 11,210 मत

खलीलाबाद लोकसभा उपचुनाव
भीष्म शंकर तिवारी (बसपा)- 2,18,393 मत
भालचंद्र यादव (सपा)- 1,53,761 मत
संजय जायसवाल (कांग्रेस)- 94,565 मत
चंद्रशेखर पांडे (भाजपा)- 60,384 मत

बिलग्राम विधानसभा उपचुनाव
रजनी तिवारी (बसपा)- 92,196 मत
विश्राम यादव (सपा)- 54,088 मत
यदुनंदन लाल (भाजपा)- 8,168 मत
सुरेश चंद्र तिवारी (कांग्रेस)- 2,766 मत

कर्नलंगज विधानसभा उपचुनाव
बृज कुंवरि सिंह (बसपा)- 50,283 मत
योगेश प्रताप सिंह (सपा)- 40,546 मत
रामा मिश्रा (कांग्रेस)- 21,478 मत
कृष्ण कुमार (भाजपा)- 4,387 मत

मुरादनगर विधानसभा उपचुनाव
राजपाल त्यागी (बसपा)- 58,687 मत
अयूब खां (लोकदल)- 51,834 मत
मनीष (सपा)- 12,850 मत
प्रदीप त्यागी (कांग्रेस)- 5,030 मत

Wednesday, April 2, 2008

मायावती के ठसके से बदलते राजनीतिक समीकरण

अब मायावती कुछ भी प्रेस कांफ्रेंस करके बोलती हैं। मायावती ने आज फिर प्रेस कांफ्रेंस कर डाली। एक नहीं दो-दो वजहें थीं। टिकैत की गिरफ्तारी या सरकार के साथ अंदर ही अंदर हुए समझौते पर सफाई देनी थी । साथ ही अपने खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में विरोधियों पर साजिश का आरोप लगाना था पने चिरपरिचित अंदाज में मायावती आईं और रुक-रुककर अच्छे से तैयार की गई स्क्रिप्ट पढ़ डाली। इससे लोकसभा चुनावों के लिए और उसके बाद सरकार बनने के समीकरण भी काफी हद तक साफ हो गए।

मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए ही सबको बताने, खासकर अपने वोटबैंक को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि, कोई भी कितना बड़ा आदमी हो, उनके राज में दलितों को गाली देकर को बच नहीं सकता। टिकैत के माफी मांगने को उन्होंने जोर देकर बताया और इसी बहाने कांग्रेस पर जमकर निशाना भी साधा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनसे इस्तीफा मांगा तो, केंद्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति के आयोग बूटा सिंह पर आरोप लगा डाला कि उनके खिलाफ अपशब्दों के इस्तेमाल के मामले में बूटा सिंह ने कांग्रेस के दबाव में काम किया।

वैसे राहुल गांधी के उत्तर प्रदेश में जरूरत से ज्यादा रुचि दिखाने से मायावती पहले से ही चिढ़ी हैं और कुल मिलाकर पिछले तीन दिनों की घटनाओं ने लोकसभा चुनावों के लिए सबको अपने-अपने सहयोगियों को चुनने का मौका दे दिया है। भाजपा को फिर 'माया' रास आ रही है। और, उत्तर प्रदेश में बसपा के राज में डरे कार्यकर्ताओं के साथ मुलायम की सपा लेफ्ट का सहारा लेकर धीरे से कांग्रेस के पाले में जा रही है।